।। मन-माटी ।।



















प्रेम
धरती के अनोखे
पुष्प-वृक्ष की तरह
खिला है
तुम्हारे भीतर

अधर
चुनना चाहते हैं
वक्ष धरा पर खिले
पुष्प को ।
जिसमें
तुम्हारी मन-माटी की सुगन्ध है
अद्भुत ।

तुम्हारे
ओठों के तट से
पीना चाहती हूँ
प्रेम-अमृत-जल
शताब्दियों से उठी हुई
प्यार की प्यास
बुझाने के लिए ।

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