।। चाँद : आकाशी हीरा ।।
चाँद ने अपना कोई घर नहीं बनाया दीवारों से बाहर रहने के लिए सूरज मकानों से बाहर रहता है दीवारों को तपाने और पिघलाने के लिए चाँद वृक्षों की पात हथेली की मुठ्ठी में अपनी रोशनी को बनाकर रखता है सितारा चाँद घरों के बाहर अपनी रोशनी से आवाज़ देता है कि अँधेरे में मेरी उजली चमक लगता है प्रकृति ने ब्लैक-बोर्ड पर चॉक से लिखी हो ईश्वर की उजली सृष्टि सूर्य के अस्त होने पर अँधेरों के खिलाफ चाँद है आकाशी हीरा ।