।। तस्वीर ।।
तुम्हारी तस्वीर ने
दीवार के एक हिस्से पर टँगकर
दीवार को देह बना दिया होगा
प्राणों की तरह लगकर
तुम्हारी तस्वीर ने
कील पर टँगकर
खूँटी को सलीब टाँगने की
सजा से मुक्त कर दिया होगा
वत्सल हथेली बनकर
तुम्हारी तस्वीर ने
दीवार के एक हिस्से को
आला बना दिया होगा अपनी उपस्थिति से
अबुझ हिय दीया-सा उजलकर
तुम्हारी तस्वीर से
दीवार के उस हिस्से पर
दो हथेलियाँ उग आई होंगी
तस्वीर को थामने
स्नेहातुर हथेलियों की तरह
तुम्हारी तस्वीर ने
दीवार के उस हिस्से को
हाशिये से मुक्त कर
विस्तृत चित्रफलक बनाया होगा
प्रकृति सहेजी वासन्ती दृष्टि से सँवरकर
तुम्हारी तस्वीर से
दीवार के उस हिस्से को
बादल-सा उमड़कर
आकाश बना दिया होगा
अपनी निश्छल निर्मलता सौंपकर
तुम्हारी तस्वीर ने
दीवार के एक हिस्से पर
वक्ष भर जगह घेरकर
जड़-जगह को चेतन बना दिया होगा
अपनी छवि की परछाईं से सजीव कर
तुम्हारी तस्वीर ने
दीवार पर टँगकर
एक जोड़ी दृष्टि जुटा ली होगी
राह अगोरती प्रिया की विकलता की तरह
जो दीवारों के बाहर का आकाश
तुम्हारी तरल आँखों की तरह लीपती है
अल्पना के स्वप्निल मेघों के लिए ।
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