बच्चों के सो जाने पर भी उनके खिलौने खेलते हैं उनकी नींद के भीतर भी सपनों में भी सोचते हैं वे कौन सी कमी है हमारी खिलौनों की दुनिया में कैसे बढ़ा सकेंगे उनका संसार कैसे करनी होगी गुजारिश अपने चाहने वालों से बच्चों के सो जाने पर भी उनके बेजान खिलौने जागते रहते हैं सपनों में उनके आनंद और खुशी के लिए जैसे कि खिलौने भी जानते हैं बख़ूबी दिन भर में पड़ने वाली उनकी डाँट-फटकार को रोते हुए बच्चों के साथ बिसूरते हैं उनके निर्जीव खिलौने भी बच्चे पोंछते हैं आँसू अपने टेडी वीयर और गुड़िया-गुड्डा कभी कभी स्पाइडर और रोबोट मैन तक के । बच्चों के सो जाने पर ढेर के रूप में समेटकर सुला दिए जाते हैं खिलौने अक्सर टोकरियों में तर-ऊपर-गर कर जबकि बच्चों के जागते रहने पर उनके खिलौने कभी नहीं होते इस कदर दर-ब-दर गुड़िया होती है सदा सजी-धजी डॉक्टरनी और गुड्डा अंतरिक्ष यान के भीतर चाँद और अन्य ग्रहों की खोज में कारें, बसें, रेलगाड़ियाँ उल्टी-पल्टी नहीं होती हैं कभी बल्कि उनकी बनाई सड़क पर होती