।। नक्षत्र के शब्द ।।
तुम्हारी हस्तलिपि में
महसूस किया है आँखों ने
हृदय का ताप
तुम्हारी लिखावट में
हथेलियों ने
अनुभव किया है उँगलियों का
सिहरता स्पर्श
तुम्हारे कंधों पर
मेरी हथेली है
बग़ैर तुम्हें छुए
बिना मेरे कहे
विश्वास किया है आँखों ने
तुम्हारे लिखे को
बिना कहे
विश्वास किया है आँखों ने
तुम्हारे लिखे में
ढूँढ़ी हैं तुम्हारी उँगलियाँ
महसूस किया है
उनका सिहरता कम्पन
जैसा किसी अनुबंध पर
हस्ताक्षर करते समय
कुछ समय के लिए
ठहरती हैं उँगलियाँ
अपनी धड़कनों की
धधकन सुनने के लिए
प्रिय को
लिखे शब्दों में
उतरता है अंतस के नक्षत्र का उजाला
उन शब्दों को
नक्षत्र में तब्दील करने के लिए
('भोजपत्र' शीर्षक कविता संग्रह से)
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