तीन छोटी कविताएँ
।। सूत्र ।।
प्रेम में
हम
जनमते हैं जीवन
और
जीवन में
हम
जानते हैं
जानते हैं
अथाह
अछोर
अनंत-प्रेम
।। देह की पृथ्वी में ।।
वह
रचाती है ह्रदय में
प्रेम का
अथाह महासागर
अनाम और अलौकिक
पृथ्वी के महासागरों से इतर
मन की देह की पृथ्वी का
महासागर
।। अनश्वर ।।
प्रिय का हर शब्द
प्रेम की
वंशावली है
देह अनश्वर है
जीवित रहती है आत्मा की देह में देह
प्रेम की तरह
('भोजपत्र' शीर्षक कविता संग्रह से)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें