दो कविताएँ
।। एकात्म अवस्था ।। देह अंतरिक्ष के नक्षत्र हैं नयन और अधर सूर्य और चन्द देह में देह का लीन हो जाना और फिर विलीन विदेह प्रणय की एकात्म अवस्था ।। स्मृति-भवन ।। शब्दों से परे जाकर रचे जाते हैं शब्द प्रेम में संप्रेषण की सरस भाषा प्रेम से परे जाकर रचती है प्रेम बह सकें जिसमें बाधाओं के पाषाण-खंड और बनाये 'घर' जो मृत्यु के बाद भी शेष रहे स्मृति-भवन स्वरूप ('भोजपत्र' शीर्षक कविता संग्रह से)